क्या आप जानते हैं कि हमारे देश के सिर्फ 1 प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है। हाल ही के वर्षों में इसमें जबरदस्त तरीके से वृद्धि देखने को मिली है। अभी कुछ समय पहले एक स्टडी प्रकाशित हुई थी, जिसमें यह दावा किया गया कि भारत के 1% सबसे अमीर लोगों के पास कुल संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है
इसके अलावा भारत में अरबपतियों की कुल संख्या 2020 में 102 से बढ़कर 2021 और 2022 में क्रमशः 142 और 166 हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक देश में 22.89 करोड़ लोग गरीबी में रहते हैं जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।
कुछ पुराने आंकड़ों को देखें तो 1981 में देश की कुल संपत्ति का 45% हिस्सा 10 फीसदी अमीरों के पास था। लेकिन ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अमीर एक प्रतिशत भारतीयों के पास अब देश की कुल संपत्ति का 40.5 फीसदी हिस्सा है।
इसके अलावा भारत के टॉप 5% अमीरों के पास देश की कुल संपत्ति का 61.7% हिस्सा है। इस रिपोर्ट में कुछ हैरान करने वाले खुलासे किए गए हैं। आइए पहले इस ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट की बड़ी बातों के बारे में जानते हैं।
ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट
ऑक्सफैम की इस नई रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारत के टॉप 1% अमीर लोगों के पास कुल संपत्ति का 40.5% से अधिक हिस्सा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में देश में अरबपतियों की संख्या 2020 में 102 से बढ़कर 166 हो गई।
साथ ही इसमें इस बात पर भो ज़ोर डाला गया है कि भारत के गरीब लोगों के पास जीवित रहने के लिए बुनियादी ज़रूरतें को पूरा करने की भी क्षमता नहीं है। इस रिपोर्ट में इंडिया की वैल्थ डिस्ट्रिब्यूशन पर प्रकाश डाला गया है। जिसमें कहा गया कि देश के गरीबों और मध्यम वर्ग पर अमीरों की तुलना में अधिक टैक्स लगाया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में टोटल GST का लगभग 64% नीचे की 50% आबादी से आता है, जबकि केवल 4% टॉप 10% अमीर लोगों से आता है। यह एक बड़ा संकेत है, कि भारत में अमीर आधी अमीर होता जा रहा है और गरीब अधिक गरीब होता जा रहा है।
ऑक्सफैम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में अमीरों को कॉर्पोरेट टैक्स में कमी, टैक्स छूट और अन्य चीजों से सरकार द्वारा लाभ मिलता है। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इन 1 फीसदी अमीरों पर महज 2% का भी टैक्स लगाया जाए, तो अगले तीन वर्षों तक देश की कुपोषित आबादी को पोषण मिल जाएगा।
आखिर क्यों भारत के 1% अमीरों के पास 40% संपत्ति है?
तो आखिर ऐसा क्या है कि भारत की छोटी सी आबादी के पास देश की संपत्ति का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। एनालिसिस से यह भी पता चलता है कि भारत में सबसे अमीर व्यक्तियों की आय का प्रतिशत ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों से भी अधिक है।
1. विदेशी निवेश
तो इसका एक सबसे बड़ा कारण विदेशी निवेशकों को माना जाता है। क्योंकि पहली बार जब 1992 में भारत ने विदेशी निवेशकों के लिए अपना मार्केट खोला तो देश की अर्थव्यवस्था में एकाएक उछाल आने लगा। इससे देश में अरबपतियों की संख्या आसमान छू गई।
वैल्थ डिस्ट्रिब्यूशन में इस असमानता से पता चलता है कि वर्तमान में जो अमीरों व गरीबों के बीच खाई है, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक युग की तुलना में भी अधिक है। फोर्ब्स बिलिनियर रैंकिंग के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय अरबपतियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जो 1991 में 1 से बढ़कर 2022 में 162 हो गई है।
विशेष रूप से एशिया के दो सबसे धनी व्यक्ति, रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी और अडानी ग्रुप के गौतम अडानी हैं। इसके अलावा भारत में 9.2 करोड़ वयस्कों की आबादी में से टॉप 10,000 सबसे अमीर व्यक्तियों के पास औसत संपत्ति ₹2200 करोड़ ($271.91 मिलियन) से अधिक है, जो राष्ट्रीय औसत से 16,763 गुना अधिक है।
इस बीच टॉप 1 प्रतिशत लोगों के पास औसतन ₹54 मिलियन की संपत्ति है। मतलब इन एक फीसदी अमीर लोगों में से प्रत्येक के पास औसतन ₹5.4 करोड़ है।
2. टैक्स में असमानता
वहीं इसका दूसरा कारण देश के गरीबों और मध्यम वर्ग पर अमीरों की तुलना में अधिक टैक्स सिस्टम के कारण है। भारत में वर्तमान में अमीरों को कॉर्पोरेट टैक्स में कमी, टैक्स छूट और अन्य चीजों से सरकार द्वारा लाभ मिलता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में टोटल GST का लगभग 64% नीचे की 50% आबादी से आता है, जबकि केवल 4% टॉप 10% अमीर लोगों से आता है। 2022 में भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की कुल संपत्ति ₹54.12 लाख करोड़ थी, जबकि 10 सबसे अमीर भारतीयों की कुल संपत्ति ₹27.52 लाख करोड़ थी, जो 2021 से 32.8% अधिक है।
3. महामारी
गरीबों और अमीरों के बीच यह असमानता कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से बढ़ी है। इसके बाद से ही टॉप 5% की संपत्ति में वृद्धि जारी रही है, जो भारत की कुल संपत्ति का लगभग 62% तक पहुंच गई है।
वहीं भारत में गरीब जीवित रहने के लिए सबसे बुनियादी ज़रूरतें भी वहन नहीं कर सकते। 2018 में भूखे भारतीयों की संख्या 19 करोड़ से बढ़कर 2022 में 350 करोड़ हो गई।