हम सभी बचपन से बिग बैंग थ्योरी के बारे में सुनते आ रहे हैं। इस थ्योरी के अनुसार हमारे ब्रह्मांड का जन्म आज से 13.7 अरब वर्ष पहले हुआ था। इस सिद्धांत को सर्वप्रथम 1927 में रोमन कैथोलिक पादरी और भौतिक विज्ञानी फादर जॉर्जेस लेमैत्रे ने हवा दी थी।
उन्होंने तर्क दिया कि जिस तरह से आज हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है, उस हिसाब से अतीत में यह एक जगह इकट्ठा था। यानी उस समय पूरा ब्रह्मांड सिर्फ एक बिंदु में समाहित था। उस बिंदु का घनत्व बहुत ज्यादा था, क्योंकि उसमें पूरे ब्रह्मांड का पदार्थ और ऊर्जा निहित थी।
इसके बाद एडविन हबल की खोज ने बिंग बैंग सिद्धांत को एक चर्चा का विषय बना दिया। उन्होंने देखा कि आकाशगंगाएँ एक-दूसरे से दूर जा रही थीं, जो ब्रह्मांड के फैलने का एक संकेत है। इसके बाद बिग बैंग थ्योरी को अच्छे से समझाया गया।
वैज्ञानिकों ने कहा कि ब्रह्मांड की शुरुआत एक अविश्वसनीय रूप से छोटी, घनी और अत्यधिक गर्म अवस्था के रूप में हुई, जिसे Singularity कहा जाता है। इस खोज को सबसे अधिक सपोर्ट कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडिएशन की खोज ने किया।
समय के साथ जब ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ गहरी होती गई, तब वैज्ञानिकों ने यूनिवर्स के formation के बारे में बताया। उनके अनुसार हमारा ब्रह्मांड तीन प्राथमिक घटकों से बना है- नॉर्मल मैटर, डार्क एनर्जि और डार्क मैटर।
लेकिन अब एक और थ्योरी सामने निकलकर आ रही है, जिसने सबको चौंका दिया है। University of Ottawa के वैज्ञानिकों ने एक मॉडल प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति 26.8 अरब वर्ष पहले हुई थी। साथ ही डार्क मैटर जैसी किसी भी चीज के लिए इस यूनिवर्स में कोई स्थान नहीं है। इस मॉडल का नाम CCC+TL Model है।
CCC+TL Model की अवधारणा
अब तक की खोज के अनुसार डार्क मैटर एक ऐसा रहस्यमयी पदार्थ है, जो लाइट और electromagnetic फील्ड के साथ कोई interact नहीं करता है। इस वजह से इसको देखना और पहचानना काफी मुश्किल है। इसे केवल इसके गुरुत्वाकर्षण इफ़ेक्ट्स के माध्यम से पहचाना जाता है।
अपनी रहस्यमय प्रकृति के बावजूद डार्क मैटर ने हमें आकाशगंगाओं, स्टार्स और ग्रहों के व्यवहार को समझाने में एक अहम भूमिका निभाई है। लेकिन University of Ottawa के प्रोफेसर राजेंद्र गुप्ता ने डार्क मैटर के वजूद को ही खत्म कर दिया है। इसके लिए उन्होंने CCC+TL Model दिया है।
इस मॉडल के अनुसार प्रकृति की शक्तियां समय के साथ कम होती जाती है, साथ ही अत्यधिक दूरी तय करने के बाद प्रकाश भी अपनी ऊर्जा खो देता है। इस सिद्धांत पर काफी गहराई से रिसर्च की गई है। इसमें galaxies के distribution और शुरुआती ब्रह्मांड में उत्पन्न हुई लाइट का एवल्यूशन भी शामिल है।
राजेंद्र गुप्ता के अनुसार “हमारी स्टडी को अच्छे से अध्ययन करने पर पता चलता है, कि ब्रह्मांड 26.7 अरब वर्ष पुराना है, जो डार्क मैटर के अस्तित्व की आवश्यकता को नकारता है।”
इसके बाद उन्होंने कहा कि “cosmological theories के कारण हम ब्रह्मांड के विस्तार के लिए डार्क एनर्जी को जिम्मेदार ठहराते हैं। परंतु ऐसा नहीं है, क्योंकि यह डार्क एनर्जी के कारण नहीं हुआ है। यह तो लाइट या प्रकृति की कमजोर होती शक्तियों के कारण है।”