मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने आज एक बयान में दावा किया कि EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) चुनावों में धांधली की संभावनाओं को पूरी तरह से खत्म कर देती हैं। उन्होंने कहा कि EVM एक सुरक्षित और विश्वसनीय प्रणाली है जो चुनावों की निष्पक्षता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करती है।
CEC ने कहा कि EVM का उपयोग शुरू होने के बाद से चुनावों में धांधली के आरोपों में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में EVM के इस्तेमाल को लेकर कोई भी बड़ा विवाद नहीं हुआ।
चुनाव आयोग द्वारा मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल 1998 से किया जा रहा है।
ईवीएम का इस्तेमाल भारत में चुनावों को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए किया गया था। लेकिन, कुछ लोग ईवीएम की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर सवाल उठाते रहे हैं।
ईवीएम को लेकर मुख्य आरोप यह है कि इसमें धांधली की जा सकती है। यह आरोप इसलिए लगाया जाता है क्योंकि ईवीएम एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में हैकिंग की संभावना हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा, कुछ लोगों ने ईवीएम में खराबी मिलने का दावा भी किया है।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को हमेशा खारिज किया है। आयोग का कहना है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित और विश्वसनीय हैं। आयोग ने यह भी कहा है कि ईवीएम में धांधली करना असंभव है। चुनाव आयोग ने ईवीएम की सुरक्षा और विश्वसनीयता को साबित करने के लिए कई बार प्रदर्शन भी किए हैं।
लेकिन, कुछ लोग इन प्रदर्शनों को भी संदेह की नजर से देखते हैं। ईवीएम को लेकर बहस अभी भी जारी है। यह कहना मुश्किल है कि ईवीएम में धांधली की जा सकती है या नहीं। लेकिन, यह जरूर है कि ईवीएम की सुरक्षा और विश्वसनीयता को लेकर लोगों के मन में संदेह है।
यह संदेह दूर करने के लिए चुनाव आयोग को और अधिक प्रयास करने होंगे। यहां कुछ तथ्य दिए गए हैं जो ईवीएम को लेकर बहस को समझने में मददगार हो सकते हैं:
- ईवीएम में एक माइक्रोचिप होती है जो वोटों को रिकॉर्ड करती है।
- यह माइक्रोचिप एन्क्रिप्टेड है, जिसका अर्थ है कि इसे केवल अधिकृत लोग ही पढ़ सकते हैं।
- ईवीएम में एक बैटरी भी होती है जो बिजली गुल होने पर भी मशीन को चलाने के लिए पर्याप्त बिजली प्रदान करती है।
- चुनाव आयोग ने ईवीएम की सुरक्षा और विश्वसनीयता को साबित करने के लिए कई बार प्रदर्शन किए हैं।
- लेकिन, कुछ लोग इन प्रदर्शनों को भी संदेह की नजर से देखते हैं।
CEC ने कहा कि EVM को हैक करना असंभव है। उन्होंने कहा कि EVM में कई सुरक्षा विशेषताएं हैं जो इसे किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ से बचाती हैं।
CEC ने कहा कि चुनाव आयोग EVM की सुरक्षा और विश्वसनीयता को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। उन्होंने कहा कि आयोग EVM को और भी सुरक्षित बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
CEC के दावे के बाद विपक्षी दलों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कुछ विपक्षी दलों ने EVM को लेकर अपनी चिंताएं जताई हैं, जबकि कुछ ने CEC के दावे का समर्थन किया है।
कांग्रेस पार्टी ने कहा कि EVM में धांधली की संभावनाओं को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है। पार्टी ने कहा कि EVM को लेकर कई सवाल हैं जिनका जवाब अभी तक नहीं दिया गया है।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा कि EVM को लेकर लोगों का विश्वास बहाल करना जरूरी है। पार्टी ने कहा कि EVM के इस्तेमाल के साथ-साथ VVPAT (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कहा कि EVM को लेकर लोगों का विश्वास खत्म हो गया है। पार्टी ने कहा कि चुनावों में VVPAT का इस्तेमाल अनिवार्य किया जाना चाहिए।
यह कहना मुश्किल है कि ईवीएम में धांधली की जा सकती है या नहीं। लेकिन, यह जरूर है कि ईवीएम की सुरक्षा और विश्वसनीयता को लेकर लोगों के मन में संदेह है। यह संदेह दूर करने के लिए चुनाव आयोग को और अधिक प्रयास करने होंगे।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ईवीएम का इस्तेमाल केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी किया जाता है। इन देशों में भी ईवीएम को लेकर कुछ आरोप लगे हैं, लेकिन इन आरोपों को कभी भी साबित नहीं किया जा सका है।
अंत में, यह कहना उचित होगा कि ईवीएम एक विश्वसनीय मतदान प्रणाली है। लेकिन, किसी भी प्रणाली की तरह, इसकी भी कुछ कमियां हैं। चुनाव आयोग को इन कमियों को दूर करने के लिए और अधिक प्रयास करने होंगे।
निष्कर्ष
EVM को लेकर बहस जारी है। चुनाव आयोग EVM की सुरक्षा और विश्वसनीयता को लेकर आश्वस्त है, लेकिन विपक्षी दलों ने EVM को लेकर अपनी चिंताएं जताई हैं। यह देखना होगा कि चुनाव आयोग EVM को लेकर लोगों का विश्वास बहाल करने के लिए क्या कदम उठाता है।