भारत ने हाल ही में ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के तहत अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिसमें मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे एक नाम जो सबसे ज्यादा चर्चा में है, वह है वैज्ञानिक शीना रानी का।
शीना रानी, जो डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी में कार्यरत हैं, उन्होंने 1999 से अग्नि मिसाइल सिस्टम्स पर काम करना शुरू किया था। उनकी इस यात्रा का शिखर अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ ही साकार हुआ।
शीना रानी का जन्म और पालन-पोषण भारत में हुआ और उन्होंने तिरुवनंतपुरम के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन्स इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) में आठ वर्षों तक काम किया। 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद, वे DRDO में शामिल हुईं।
उन्होंने भारत के ‘मिसाइल मैन’ पूर्व राष्ट्रपति और DRDO के पूर्व प्रमुख डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरणा ली है। उनके करियर की राह डॉ. कलाम के समान ही है, जिन्होंने भी अपने करियर की शुरुआत ISRO के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में की थी और फिर DRDO में इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का नेतृत्व किया।
शीना रानी को उनकी ऊर्जा और समर्पण के लिए जाना जाता है। उनके पति, पीएसआरएस सास्त्री, भी DRDO में मिसाइलों पर काम कर चुके हैं और ISRO द्वारा 2019 में लॉन्च किए गए कौटिल्य सैटेलाइट के प्रभारी थे।