Home News CAA लागू, धार्मिक आधार पर बंट जाएगा देश? ये है सच्चाई

CAA लागू, धार्मिक आधार पर बंट जाएगा देश? ये है सच्चाई

87

केंद्र की मोदी सरकार जिस कानून को 2019 में लेकर आई थी, उसे अब 5 साल बाद पूरे देश में लागू कर दिया गया है। इसी के साथ एक बहस भी शुरू हो गई है। दरअसल मुस्लिमों और नॉर्थ-ईस्ट के लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।

2019 में जिस समय यह एक्ट संसद से पारित हुआ था, तब से इसको लेकर विवाद जारी है। उस समय देश के कई हिस्सों में CAA के खिलाफ विरोध देखने को मिला था। भारी विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने उस समय इस कानून को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

हालांकि हाल ही के दिनों में सीएए लागू करने की अफवाह बाजार में शुरू हो गई थी। फिर अचानक से 11 मार्च, 2024 को केंद्र ने CAA लागू करने के लिए एक नोटिफिकेशन जारी कर दिया। अब सबसे बड़ा सवाल यह है, कि क्या CAA लागू होने से देश धार्मिक आधार पर बंट जाएगा?

CAA क्या है?

उपरोक्त सवाल का जवाब जानने से पहले हमें नागरिकता संसोधन एक्ट को अच्छे से समझना होगा। दरअसल CAA यानि सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (नागरिकता संसोधन एक्ट), नागरिकता से जुड़ा एक कानून है। इस एक्ट के तहत भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।

इस नए कानून से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। यह नागरिकता केवल उन गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को दी जाएगी, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में आए थे।

क्या CAA लागू होने से देश धार्मिक आधार पर बंट जाएगा?

दिसंबर, 2019 में जब CAA संसद से पारित हुआ था, तब से लेकर इसका विरोध किया जा रहा है। सबसे अधिक विरोध मुस्लिम समुदाय के लोग कर रहे हैं। क्योंकि इस कानून में मुस्लिम समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है।

मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है, कि उन्हें जानबूझकर टार्गेट किया जा रहा है। भविष्य में उन्हें जबरन अवैध घोषित कर उनकी नागरिकता ले ली जाएगी। उनका कहना है कि जब नागरिकता देनी ही है, तो यह धर्म के आधार पर क्यों दी जा रही है।

यह एक्ट लागू होने के बाद से ही अलग-अलग समुदाय के लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ आ रही है। कुछ लोगों का मानना है कि यह एक्ट अलग-अलग धर्मों के बीच खाई की तरह काम करेगा। उनके अनुसार यह भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है। क्योंकि यह मुसलमानों को अलग करता है और भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कमजोर कर रहा है।

हालांकि कुछ लोग इसे सपोर्ट भी कर रहे हैं। उनका तर्क है कि यह पड़ोसी देशों के सताए गए अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करेगा। सीएए भारत को धार्मिक आधार पर किस तरह बांट सकता है, यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है।

जिसमें इसे कैसे लागू किया जाता है, कौनसे नियम है, सरकार की सोच क्या है, सार्वजनिक धारणा और विभिन्न समुदायों की प्रतिक्रिया शामिल है। परंतु कुछ ऐसी चिंताएँ भी हैं कि यह विभिन्न समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा सकता है। हालांकि यह भारत के धार्मिक विभाजन को किस तरह प्रभावित करेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

CAA का विरोध कौन कर रहा है?

CAA का विरोध मुख्यतः नॉर्थ-ईस्ट के लोग और मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति कर रहे हैं। शुरुआत में पूर्वोतर के सात राज्यों ने इसका जबरदस्त विरोध किया था। उन लोगों का मानना है कि अगर बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी, तो उनके जीवन पर काफी प्रभाव पड़ेगा।

इसके लिए वे संसाधनों में बँटवारे का तर्क दे रहे हैं, क्योंकि इससे उनकी आय में कमी हो जाएगी। इसी विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने नॉर्थ-ईस्ट के सात राज्यों में फिलहाल सीएए लागू नहीं किया है।

वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग इसलिए विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है। विपक्ष और मुस्लिम समुदाय के लोग इसे धर्म की राजनीति का नाम दे रहे हैं। वहीं सरकार की तरफ से कहा गया है कि सीएए नागरिकता लेने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का कानून है। इससे किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी।

Previous articleCAA लागू, सरकार ने इन लोगो को दिखाया बाहर का रास्ता, छीन जाएगी नागरिकता
Next articleकौन है शीना रानी, भारत के ‘मिशन दिव्यास्त्र’ में अहम भूमिका निभाने वाली वैज्ञानिक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here